PAIGAM-E-ISLAM
Slideshow Creator Pro
Saturday, August 7, 2010
Sunday, July 11, 2010
Saturday, July 10, 2010
मौत के बाद क्या होगा 3 (दोजख के हालात)
हजरत अबूमुसा अरअरी राजियाल्लाहू हाला अन्हु रसूले खुदा सल्लल्लाहु तआला अलेहू व वस्सलाम की से रिवायत करते है की आप ने (दोजख की गहराई बायांन करते हुए) फ़रमाया, अगर एक पत्थर ज़हन्नुम में डाला जाए तो दोजख की तह में पहुँचने से पहले सतर साल तक गिरता चला जाएगा |
और हजरत अबू हूरेर रजी का बयाँ है की हम रसूल खुद सल्लल्लाहु तआला वसल्लम की बरकती खिदमत में बेठे हुए थे की हमने किसी चीज के गिरने की आवाज़ सूनी | रसूल खुदा सल्लल्लाहु आलेही व सल्लम ने फ़रमाया क्या तुम जानते हो की यह (आवाज) क्या है ? हमने अर्ज किया, अल्लाह और उसका रसूल ही खूब जानते है | आपने फ़रमाया यह एक पत्थर है , जिसको खुदा ने ज़हन्नुम के मूह पर (तह में गिरने के लिए) छोड़ा था और वह सतर साल तक गिरते-गिरते अब दोजख की तह में पहुंचा है | यह उसके गिरने की आवाज़ है |
हुजुर सल्लालाहू अलैहिवसल्लम ने फ़रमाया की दोज़ख को चार दीवारें घेरे हुए है जिनमें हर दीवार की चौड़ाई चालीस साल चलने की दूरी है। दोज़ख के सात दरवाज़े हैं जिनमे से एक उनके लिए है जो उम्मते मुहम्मदिया पर तलवार उठाये हुए है। अल्लाह के रसूल सल्लला हुअलैहिवसल्लम ने फ़रमाया कि दोज़ख को एक हज़ार साल तक धोंका गया तो उसकी आग लाल हो गयी, फिर एक हज़ार साल और धोंका गया तो उसकी आग सफेद हो गयी, फिर एक हज़ार साल धोंका गया तो उसकी आग काली हो गयी, चुनांचे अब उसकी आग काली है। एक रिवायत में है कि उसकी लपट में रौशनी नहीं है। यानी हमेशा अँधेरा रहता है। और फ़रमाया कि दुनियावी आग दोज़ख कि आग का सत्तरवां हिस्सा है, यानी दोज़ख कि आग दुनियावी आग से सत्तर गुना ज्यादा गर्म है। अगर किसी दोज़खी को दुनिया कि आग में छोड़ दिया जाए तो उसे नींद आ जाएगी। क्योंकि दुनियावी आग दोज़ख कि आग के मुकाबले ठंडी है इसीलिए उसे उसमे ज्यादा आराम मिलेगा।
दोज़ख ने अपने रब के दरबार में शिकायत की कि मेरी तेज़ी बहुत बढ़ गयी है यहाँ तक कि मेरे कुछ हिस्से दुसरे हिस्सों को खाए जाते हैं। इसलिए मुझे इज़ाज़त दी जाए कि किसी तरह अपनी गर्मी हलकी कर सकूँ। चुनांचे अल्लाह तआला ने उसको दो बार सांस लेने कि इज़ाज़त दी। एक सांस सर्दी के मौसम में और एक साँस गर्मी के मौसम में इसलिए गर्मी जो हम महसूस करते हैं दोज़ख कि लू का असर है जो साँस के साथ बहार आती है। और सख्त सर्दी जो महसूस करते है वो साँस अन्दर खेंचने का असर है। यानी दुनिया कि तमाम गर्मी सांस के साथ खेंच लेती है। एक रिवायत में आता है कि हर रोज़ दोपहर को दोज़ख को देह्काया जाता है। एक बयान में आता है कि जिन्नात को आग का अज़ाब नहीं दिया जाएगा क्योंकि आग तो उनकी तबियत में है और उनको आग से ही बनाया गया है, इसलिए उनके लिए बेहद ठंडक का अज़ाब दिया जाएगा। जिन्नात दुनिया में भी सर्दी से बेहद घबराते हैं। सर्दी में बाद हवास होकर घुमते हैं। फ़रमाया कि पानी में न शैतान आ सकता है न ही जिन्न जा सकता है। अगर कोई पानी में उनको दाल दे तो बुझ कर फनाह हो जायेंगे। यह भी फ़रमाया कि कातिलों को भी शैतान के साथ ठंडक का अज़ाब दिया जाएगा। यहाँ सबक हासिल करने वाली बात है कि दुनिया में इंसान मामूली गर्मी और सर्दी बर्दास्त नहीं कर सकता उसमे भी उसको कूलर ऐ सी चाहिए तो दोज़ख कि आग को कैसे बर्दाश्त कर पायेगा। दुनिया में करोड़ों इंसान ऐसे हैं जो मामूली सर्दी गर्मी से बचने का अह्तमाम करते हैं मगर दोज़ख का उन्हें ख्याल ही नहीं।
कुराने करीम में फरमाया गया है कि - ऐ ईमान वालों! अपने आप को और अपने घर वालों को दोज़ख कि आग से बचाओ जिनका ईंधन इंसान और पत्थर बनने वाले हैं। पत्थर के बारे में फ़रमाया गया कि जो दोज़ख का ईंधन हैं वो किब्रित यानी गंधक के पत्थर हैं जो खुदा ने करीब वाले आसमान में उस दिन पैदा फरमाए थे जिस दिन आसमान और ज़मीन पैदा फरमाए थे। यह पत्थर कुफ्फार के अज़ाब के लिए तैयार किये गए थे। इन पत्थरों के अलावा मुशरिकों कि वह मूर्तियाँ भी दोज़ख में होंगी जिनकी वह पूजा किया करता था।
दोज़ख के सात तबके हैं जिनमें तरह तरह के अज़ाब है। जो जिस अज़ाब का हक़दार होगा उसी में दाखिल होगा। ज़ेहन्नुम के कई तबके हैं। बुजुर्गों ने इन तबकों के नाम और तफसीर कुछ इस तरह बयान की है कि सबसे नीचे का तबका मुनाफिकों, फ़िरौन और उसके मददगारों का जिसका नाम "हाविया" है और दूसरा तबका जो "हाविया" के ऊपर है मुशरिकों के लिए है जिसका नाम "ज़हीम" है। फिर तीसरा तबका "सकर" जो बे दीन फ़िर्का साइबीन के लिए है। चौथा तबका "नतय" है वह इब्लीस और उसके ताबेदारों के लिए है। और पांचवां तबका यहूद के लिए है जिसका नाम है "हुत्मा"। छठा तबका "सईर" ईसाइयों के लिए है और सातवां तबका "ज़हन्नुम" है जो गुनाहगार मुसलमानों के लिए है उसी पर पुल सिरात कायम होगी और गो सब तबकों के लिए लफ्ज़ ज़हन्नुम ही आता है। दोज़ख के हर दरवाज़े कि दूरी सात सौ साल की है।
अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया कि क़यामत के दिन दोज़ख से एक गर्दन निकलेगी जिसकी दो आँखें, दो कान, और एक जुबान होगी, वह कहेगी मैं तीन शख्सों पर मुसल्लत की गयी हूँ - , एक हर सरकश जिद्दी पर, दूसरा हर उस इंसान पर जिसने अल्लाह के साथ दूसरा माबूद ठहराया, तीसरा तस्वीर बनाने वाले पर।
और हजरत अबू हूरेर रजी का बयाँ है की हम रसूल खुद सल्लल्लाहु तआला वसल्लम की बरकती खिदमत में बेठे हुए थे की हमने किसी चीज के गिरने की आवाज़ सूनी | रसूल खुदा सल्लल्लाहु आलेही व सल्लम ने फ़रमाया क्या तुम जानते हो की यह (आवाज) क्या है ? हमने अर्ज किया, अल्लाह और उसका रसूल ही खूब जानते है | आपने फ़रमाया यह एक पत्थर है , जिसको खुदा ने ज़हन्नुम के मूह पर (तह में गिरने के लिए) छोड़ा था और वह सतर साल तक गिरते-गिरते अब दोजख की तह में पहुंचा है | यह उसके गिरने की आवाज़ है |
हुजुर सल्लालाहू अलैहिवसल्लम ने फ़रमाया की दोज़ख को चार दीवारें घेरे हुए है जिनमें हर दीवार की चौड़ाई चालीस साल चलने की दूरी है। दोज़ख के सात दरवाज़े हैं जिनमे से एक उनके लिए है जो उम्मते मुहम्मदिया पर तलवार उठाये हुए है। अल्लाह के रसूल सल्लला हुअलैहिवसल्लम ने फ़रमाया कि दोज़ख को एक हज़ार साल तक धोंका गया तो उसकी आग लाल हो गयी, फिर एक हज़ार साल और धोंका गया तो उसकी आग सफेद हो गयी, फिर एक हज़ार साल धोंका गया तो उसकी आग काली हो गयी, चुनांचे अब उसकी आग काली है। एक रिवायत में है कि उसकी लपट में रौशनी नहीं है। यानी हमेशा अँधेरा रहता है। और फ़रमाया कि दुनियावी आग दोज़ख कि आग का सत्तरवां हिस्सा है, यानी दोज़ख कि आग दुनियावी आग से सत्तर गुना ज्यादा गर्म है। अगर किसी दोज़खी को दुनिया कि आग में छोड़ दिया जाए तो उसे नींद आ जाएगी। क्योंकि दुनियावी आग दोज़ख कि आग के मुकाबले ठंडी है इसीलिए उसे उसमे ज्यादा आराम मिलेगा।
दोज़ख ने अपने रब के दरबार में शिकायत की कि मेरी तेज़ी बहुत बढ़ गयी है यहाँ तक कि मेरे कुछ हिस्से दुसरे हिस्सों को खाए जाते हैं। इसलिए मुझे इज़ाज़त दी जाए कि किसी तरह अपनी गर्मी हलकी कर सकूँ। चुनांचे अल्लाह तआला ने उसको दो बार सांस लेने कि इज़ाज़त दी। एक सांस सर्दी के मौसम में और एक साँस गर्मी के मौसम में इसलिए गर्मी जो हम महसूस करते हैं दोज़ख कि लू का असर है जो साँस के साथ बहार आती है। और सख्त सर्दी जो महसूस करते है वो साँस अन्दर खेंचने का असर है। यानी दुनिया कि तमाम गर्मी सांस के साथ खेंच लेती है। एक रिवायत में आता है कि हर रोज़ दोपहर को दोज़ख को देह्काया जाता है। एक बयान में आता है कि जिन्नात को आग का अज़ाब नहीं दिया जाएगा क्योंकि आग तो उनकी तबियत में है और उनको आग से ही बनाया गया है, इसलिए उनके लिए बेहद ठंडक का अज़ाब दिया जाएगा। जिन्नात दुनिया में भी सर्दी से बेहद घबराते हैं। सर्दी में बाद हवास होकर घुमते हैं। फ़रमाया कि पानी में न शैतान आ सकता है न ही जिन्न जा सकता है। अगर कोई पानी में उनको दाल दे तो बुझ कर फनाह हो जायेंगे। यह भी फ़रमाया कि कातिलों को भी शैतान के साथ ठंडक का अज़ाब दिया जाएगा। यहाँ सबक हासिल करने वाली बात है कि दुनिया में इंसान मामूली गर्मी और सर्दी बर्दास्त नहीं कर सकता उसमे भी उसको कूलर ऐ सी चाहिए तो दोज़ख कि आग को कैसे बर्दाश्त कर पायेगा। दुनिया में करोड़ों इंसान ऐसे हैं जो मामूली सर्दी गर्मी से बचने का अह्तमाम करते हैं मगर दोज़ख का उन्हें ख्याल ही नहीं।
कुराने करीम में फरमाया गया है कि - ऐ ईमान वालों! अपने आप को और अपने घर वालों को दोज़ख कि आग से बचाओ जिनका ईंधन इंसान और पत्थर बनने वाले हैं। पत्थर के बारे में फ़रमाया गया कि जो दोज़ख का ईंधन हैं वो किब्रित यानी गंधक के पत्थर हैं जो खुदा ने करीब वाले आसमान में उस दिन पैदा फरमाए थे जिस दिन आसमान और ज़मीन पैदा फरमाए थे। यह पत्थर कुफ्फार के अज़ाब के लिए तैयार किये गए थे। इन पत्थरों के अलावा मुशरिकों कि वह मूर्तियाँ भी दोज़ख में होंगी जिनकी वह पूजा किया करता था।
दोज़ख के सात तबके हैं जिनमें तरह तरह के अज़ाब है। जो जिस अज़ाब का हक़दार होगा उसी में दाखिल होगा। ज़ेहन्नुम के कई तबके हैं। बुजुर्गों ने इन तबकों के नाम और तफसीर कुछ इस तरह बयान की है कि सबसे नीचे का तबका मुनाफिकों, फ़िरौन और उसके मददगारों का जिसका नाम "हाविया" है और दूसरा तबका जो "हाविया" के ऊपर है मुशरिकों के लिए है जिसका नाम "ज़हीम" है। फिर तीसरा तबका "सकर" जो बे दीन फ़िर्का साइबीन के लिए है। चौथा तबका "नतय" है वह इब्लीस और उसके ताबेदारों के लिए है। और पांचवां तबका यहूद के लिए है जिसका नाम है "हुत्मा"। छठा तबका "सईर" ईसाइयों के लिए है और सातवां तबका "ज़हन्नुम" है जो गुनाहगार मुसलमानों के लिए है उसी पर पुल सिरात कायम होगी और गो सब तबकों के लिए लफ्ज़ ज़हन्नुम ही आता है। दोज़ख के हर दरवाज़े कि दूरी सात सौ साल की है।
अल्लाह के रसूल ने फ़रमाया कि क़यामत के दिन दोज़ख से एक गर्दन निकलेगी जिसकी दो आँखें, दो कान, और एक जुबान होगी, वह कहेगी मैं तीन शख्सों पर मुसल्लत की गयी हूँ - , एक हर सरकश जिद्दी पर, दूसरा हर उस इंसान पर जिसने अल्लाह के साथ दूसरा माबूद ठहराया, तीसरा तस्वीर बनाने वाले पर।
मौत के बाद क्या होगा 2
एक दिन सहाबा अल्लाह के रसूल सल्ललाहु अलैहि व सल्लम के साथ किसी अंसारी के ज़नाज़े में शरीक हुए, जब कब्र तक पहुंचे तो देखा की अभी कब्र बनी नहीं है इस वजह से नबी सल्लालाहू अलैहि वसल्लम बैठ गए और सहबा भी उनके चारों तरफ अदब से बैठ गए। अल्लाह के रसूल के हाथ में एक लकड़ी थी जिससे वो ज़मीन कुरेद रहे थे जैसा कि कोई दुखी आदमी करता है। आपने सर उठाया और फ़रमाया कि कब्र के अज़ाब से पनाह मांगो। फ़रमाया कि बेशक जब मोमिन बंद दुनिया से जाने और आखिरत का रुख करने को होता है तो उसकी तरफ आसमान से फ़रिश्ते आते हैं, जिनके सफ़ेद चेहरे सूरज की तरह रोशन होते हैं। यह फ़रिश्ते इतने होते हैं कि जहाँ तक उसकी नज़र पहुंचे वहां तक बैठ जाते है। उनके साथ जन्नती कफन होता है और जन्नत की खुशबू होती है। फिर हज़रत मलकुल मौत अलैहिस्सलाम तशरीफ़ लाते हैं। यहाँ तक कि उसके पास बैठ जाते हैं। और फरमाते हैं कि ऐ पाक रूह! अल्लाह कि मग्फ़िरत और उसकी रजामंदी की तरफ निकल कर चल। चुनांचे उसकी रूह इस तरह आसानी से निकल आती है जैसे किसी मस्कीजे से पानी का क़तरा बहता हुआ बाहर आ जाता है, तो उसे मलकुल मौत अलैहिस्सलाम ले लेते हैं। उनके हाथ में लेते ही दुसरे फ़रिश्ते जो दूर तक बैठे हैं पल भर भी उनके हाथ में नहीं छोड़ते यहाँ तक कि उसे लेकर उसी कफन और खुशबू में रखकर आसमान कि तरफ चल देते हैं। इस खुशबू के बारे में फरमाया कि ज़मीन पर जो कभी अच्छी से अच्छी खुशबू मुश्क की पायी गयी है, उस जैसी वोह खुशबू होती है।
फिर फरमाया कि उस रूह को लेकर आसमान कि तरफ चढ़ने लगते हैं और फरिश्तों कि जिस टोली पर से गुज़र होता तो पूछते कि यह कौन पाक रूह है, तो वह अच्छे से अच्छा नाम लेकर बताते जैसा कि दुनिया में बुलाया जाता था कि फलां का बेटा फलां है। इसी तरह आसमान तक पहुँचते हैं और आसमान का दरवाज़ा खोलते हैं। चुनांचे दरवाज़ा खोल दिया जाता है और वह रूह को लेकर ऊपर चले जाते हैं यहाँ तक कि सातवें आसमान पर पहुँच जाते हैं। हर आसमान के करीबी फ़रिश्ते दुसरे आसमान तक उसे विदा करने जाते हैं। जब सातवें आसमान पर पहुँच जाते हैं तो अल्लाह तआला फरमाते हैं कि मेरे बन्दे को इल्लियीन कि किताब (नेकों का दफ्तर) में रख दो और उसे ज़मीन पर वापस ले जाओ क्योंकि मैंने इंसान को ज़मीन ही से पैदा किया उअर वहीँ पर लौटा दूंगा। और उसी से उनको दोबारा पैदा निकाल लूँगा. चुनांचे उसकी रूह उसके जिस्म में वापस कर दी जाती है। उसको कब्र में छोड़ दिया जाता है। इसके बाद दो फरिस्ते उसके पास आते है, जो आकर उसे बिठाते है और उस से सवाल करते है कि तेरा रब कौन है ? वह जवाब देता है, मेरा रब अल्लाह है | फिर उस से पूछते है कि तेरा दीन क्या है ? वह जवाब देता है, मेरा दिन इस्लाम है | फिर उससे पूछते है कि यह कौन साहब है, जो तुम्हारे अन्दर भेजे गए ? वह कहता है कि वह अल्लाह के रसूल है (सल्लल्लाहु अलेही व सल्लम) | फिर उससे दर्याफ्त करते है कि तेरा अमल क्या है ? वह कहता है कि मेने अल्लाह कि किताब पढ़ी, सो उस पर ईमान लाया और उसकी तस्दीक कि इसके बाद एक मुनादी (आवाज देने वाला) आसमान से आवाज देता है (जो अल्लाह का मुनादी होता है) कि मेरे बन्दे ने सच कहा, सो उसके लिए जन्नत के बिछाने बिछा दो और उसके जन्नत के कपडे पहना दो और उसके लिए जन्नत कि तरफ दरवाजा खोल दो, चुनांचे जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है, जिसके ज़रिये जन्नत का आराम और खुशबू भीतर आती रहती है और उसके कब्र उतनी फैला दी जाती है कि जहा तक उसकी नज़र पहुंचे | इसके बाद बहुत ही खूबसूरत चेरे वाला, बेहतरीन कपडे वाला, (और) पाक खुशबू वाला एक आदमी उसके पास आ कर कहता है कि ख़ुशी कि चीजों कि खुशखबरी सुन ले | यह तेरा वह दिन है जिसका तुम से वायदा किया जाता था, वह कहता है तुम कौन हो ? तुम्हारा चेहरा सच में चेहरा कहने के काबिल है और इस काबिल है कि अच्छी खबर लाए, वह कहता है कि मै तेरा भला अमल हूँ | इसके बाद वह (ख़ुशी में) कहता है कि ऐ रब ! कियामत कायम फरमा | ऐ रब ! कियामत फरमा, ताकि मै अपने बाल-बच्चों और माल में पहुंचा जाऊ |
और बिला सुबहा जब काफिर बन्दा दुनिया से जाने और आखिरत का रुख करने को होता है तो श्याह चेहरे वाले फ़रिश्ते आसमान से उसके पास आते हैं, जिनके साथ टाट होते हैं और उसके पास इतनी दूर तक बैठ जाते हैं जहाँ तक उसकी नज़र पहुचती है। फिर मलकुल मौत अलैहिस्सलाम तशरीफ़ लाते हैं, यहाँ तक कि उसके सर के पास बैठ जाते हैं। फिर कहते हैं कि ऐ खबीस रूह अल्लाह कि नाराजी कि तरफ निकल मलकुल मौत का यह हुक्म सुनकर रूह उसके जिस्म मै इधर उधर भागी फिरती है, इसलिए मलकुल मौत उसकी रूह को जिस्म से इस तरह निकालते हैं जैसे बोटियाँ भूनने कि सीख भीगे हुए ऊन से साफ़ कि जाती है (यानी काफिर कि रूह को जिस्म से ज़बरदस्ती इस तरह निकालते हैं जैसे भीगा हुआ ऊन कांटेदार सीख पर लिप्त हुआ हो और उसको जोर से खींचा जाए) फिर उसकी रूह को मलकुल मौत अपने हाथ मै ले लेते हैं और उनके हाथ मै लेते ही फ़रिश्ते पल झपकते के बराबर भी उनके पास नहीं छोड़ते, यहाँ तक कि फ़ौरन उससे लेकर उसको टाटों में लपेट देते हैं जो उनके पास होती है। और उन टाटों में ऐसी बदबू आती है जैसी कभी किसी बहुत ज्यादा सड़ी हुई मुर्दे कि लाश की धरती पर बदबू फूटी हो। वो फ़रिश्ते उसे लेकर आसमान कि तरफ चढ़ते हैं। और फरिश्तों के जिस गिरोह पर भी पहुँचते हैं, वे कहते हैं कि यह कौन खबीस रूह है ? तो उसका बुरे से बुरा नाम लेकर बताया जाता है कि फलां का बेटा फलां है। यहाँ तक कि वे उसे लेकर पहले आसमान तक पहुँचते है और दरवाजा खुलवाना चाहते है, मगर उसके लिए दरवाजा नहीं खोला जाता है, जैसा कि अल्लाह जल शानुहू ने फ़रमाया है -----
उनके लिए आसमान के दरवाजे न खोले जायेंगे, और न वे कभी जन्नत में दाखिल होंगे, जब तक ऊंट सुई के नाके में न चला जाए (और ऊंट सुई के नाके में जा नहीं सकता इसलिए वे भी जन्नत में नहीं जा सकते )
फिर अल्लाह तआला फरमाते है कि इसको सिज्जीन कि किताब (बुरों आमाल नामे कि दफ्तर ) में लिख दो , जो सबसे नीची जमीन में है | चुनांचे उसकी रूह (वहां से) फेंक दी जाती है | फिर हुज़ूर सल्लाल्लालाहू अलेही व सल्लम ने यह आयत पढ़ी ----
और जो आदमी अल्लाह के साथ शिर्क करता है, गोया वह आसमान से गिर पड़ा, फिर चिड़ियों ने उसकी बोटियां नोच लीं या हवा ने उसको बहुत दूर कि जगह में ले जाकर फेंक दिया |
फिर उसकी रूह उसके जिस्म में लौटा दी जाती है और उसके पास दो फरिस्ते आते है और उसे बिठा कर पूछते है कि तेरा रब कौन है ? वह कहता है, हाय ! हाय ! मुझे पता नहीं |फिर उससे पूछते है कि तेरा दिन क्या है ? वह कहता है, हाय ! हाय ! मुझे पता नहीं | फिर उससे पूछते है कि यह आदमी कौन है, जो तुम्हारे अन्दर भेजे गए ?
वह कहता है , हाय !हाय ! मुझे पता नहीं | जब यह सवल व जवाब हो चुकते है तो आसमान से एक मुनादी आवाज़ देता है कि इसने झूठ कहा | इसके नीचे आग बिछा दो और इसके लिए दोजख का दरवाजा खोल दो | चुनांचे दोजख का दरवाजा खोल दिया है और दोजख कि गर्मी और गर्म लू आती रहती है और कब्र उस पर तंग कर दी जाती है, यहा तक कि उसकी पसलियाँ भीचकर आपस में इधर कि उधर चली जाती है और उसके पास एक आदमी आता है जो बद-सूरत और बुरे कपडे पहने हूए होता है | उसके जुस्म से बुरी बदबू आती है |वह जिसका उससे कहता है कि मुनाबत कि खबर सून ले| यह वह दिन है जिसका तुभ से वायदा किया जाता था | वह कहता है कि में तेरा बूरा अमल हूँ | यह सुनकर वह (इस डर से कि मै कियामत में यहा से ज्यादा अजाब में गिरफ्तार हूँगा) यो कहता है कि ऐ रब कियामत कायम न कर |
एक रिवायत में है कि जब मोमिन कि रूह निकलती है तो आसमान व जमींन के बीच का हर फ़रिश्ता और वे सब फ़रिश्ते जो आसमान में है, सब के सब उस पर रहमत भेजते हे और उसके लिए आसमान के दरवाजे खोल दिया दिए जाते है और हर दरवाजे वाले अल्लाह से दुआ करते है कि उसकी रूह को हमारी तरफ ले कर चढ़ाया जाय और काफ़िर के बारे में फ़रमाया कि उस कि जान रगों समेत निकली जाती हैं और आसमान के बीच का हर फ़रिश्ता और वे सब फ़रिश्ते जो आसमान में हैं, सब के सब उस पर लानत भेजते हैं और उस के लिए आसमान के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और हर दरवाजे वाले अल्लाह से दुआ करते हैं कि उस कि रूह को हमारी तरफ से लेकर न चढ़ाया जाए |
फिर फरमाया कि उस रूह को लेकर आसमान कि तरफ चढ़ने लगते हैं और फरिश्तों कि जिस टोली पर से गुज़र होता तो पूछते कि यह कौन पाक रूह है, तो वह अच्छे से अच्छा नाम लेकर बताते जैसा कि दुनिया में बुलाया जाता था कि फलां का बेटा फलां है। इसी तरह आसमान तक पहुँचते हैं और आसमान का दरवाज़ा खोलते हैं। चुनांचे दरवाज़ा खोल दिया जाता है और वह रूह को लेकर ऊपर चले जाते हैं यहाँ तक कि सातवें आसमान पर पहुँच जाते हैं। हर आसमान के करीबी फ़रिश्ते दुसरे आसमान तक उसे विदा करने जाते हैं। जब सातवें आसमान पर पहुँच जाते हैं तो अल्लाह तआला फरमाते हैं कि मेरे बन्दे को इल्लियीन कि किताब (नेकों का दफ्तर) में रख दो और उसे ज़मीन पर वापस ले जाओ क्योंकि मैंने इंसान को ज़मीन ही से पैदा किया उअर वहीँ पर लौटा दूंगा। और उसी से उनको दोबारा पैदा निकाल लूँगा. चुनांचे उसकी रूह उसके जिस्म में वापस कर दी जाती है। उसको कब्र में छोड़ दिया जाता है। इसके बाद दो फरिस्ते उसके पास आते है, जो आकर उसे बिठाते है और उस से सवाल करते है कि तेरा रब कौन है ? वह जवाब देता है, मेरा रब अल्लाह है | फिर उस से पूछते है कि तेरा दीन क्या है ? वह जवाब देता है, मेरा दिन इस्लाम है | फिर उससे पूछते है कि यह कौन साहब है, जो तुम्हारे अन्दर भेजे गए ? वह कहता है कि वह अल्लाह के रसूल है (सल्लल्लाहु अलेही व सल्लम) | फिर उससे दर्याफ्त करते है कि तेरा अमल क्या है ? वह कहता है कि मेने अल्लाह कि किताब पढ़ी, सो उस पर ईमान लाया और उसकी तस्दीक कि इसके बाद एक मुनादी (आवाज देने वाला) आसमान से आवाज देता है (जो अल्लाह का मुनादी होता है) कि मेरे बन्दे ने सच कहा, सो उसके लिए जन्नत के बिछाने बिछा दो और उसके जन्नत के कपडे पहना दो और उसके लिए जन्नत कि तरफ दरवाजा खोल दो, चुनांचे जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है, जिसके ज़रिये जन्नत का आराम और खुशबू भीतर आती रहती है और उसके कब्र उतनी फैला दी जाती है कि जहा तक उसकी नज़र पहुंचे | इसके बाद बहुत ही खूबसूरत चेरे वाला, बेहतरीन कपडे वाला, (और) पाक खुशबू वाला एक आदमी उसके पास आ कर कहता है कि ख़ुशी कि चीजों कि खुशखबरी सुन ले | यह तेरा वह दिन है जिसका तुम से वायदा किया जाता था, वह कहता है तुम कौन हो ? तुम्हारा चेहरा सच में चेहरा कहने के काबिल है और इस काबिल है कि अच्छी खबर लाए, वह कहता है कि मै तेरा भला अमल हूँ | इसके बाद वह (ख़ुशी में) कहता है कि ऐ रब ! कियामत कायम फरमा | ऐ रब ! कियामत फरमा, ताकि मै अपने बाल-बच्चों और माल में पहुंचा जाऊ |
और बिला सुबहा जब काफिर बन्दा दुनिया से जाने और आखिरत का रुख करने को होता है तो श्याह चेहरे वाले फ़रिश्ते आसमान से उसके पास आते हैं, जिनके साथ टाट होते हैं और उसके पास इतनी दूर तक बैठ जाते हैं जहाँ तक उसकी नज़र पहुचती है। फिर मलकुल मौत अलैहिस्सलाम तशरीफ़ लाते हैं, यहाँ तक कि उसके सर के पास बैठ जाते हैं। फिर कहते हैं कि ऐ खबीस रूह अल्लाह कि नाराजी कि तरफ निकल मलकुल मौत का यह हुक्म सुनकर रूह उसके जिस्म मै इधर उधर भागी फिरती है, इसलिए मलकुल मौत उसकी रूह को जिस्म से इस तरह निकालते हैं जैसे बोटियाँ भूनने कि सीख भीगे हुए ऊन से साफ़ कि जाती है (यानी काफिर कि रूह को जिस्म से ज़बरदस्ती इस तरह निकालते हैं जैसे भीगा हुआ ऊन कांटेदार सीख पर लिप्त हुआ हो और उसको जोर से खींचा जाए) फिर उसकी रूह को मलकुल मौत अपने हाथ मै ले लेते हैं और उनके हाथ मै लेते ही फ़रिश्ते पल झपकते के बराबर भी उनके पास नहीं छोड़ते, यहाँ तक कि फ़ौरन उससे लेकर उसको टाटों में लपेट देते हैं जो उनके पास होती है। और उन टाटों में ऐसी बदबू आती है जैसी कभी किसी बहुत ज्यादा सड़ी हुई मुर्दे कि लाश की धरती पर बदबू फूटी हो। वो फ़रिश्ते उसे लेकर आसमान कि तरफ चढ़ते हैं। और फरिश्तों के जिस गिरोह पर भी पहुँचते हैं, वे कहते हैं कि यह कौन खबीस रूह है ? तो उसका बुरे से बुरा नाम लेकर बताया जाता है कि फलां का बेटा फलां है। यहाँ तक कि वे उसे लेकर पहले आसमान तक पहुँचते है और दरवाजा खुलवाना चाहते है, मगर उसके लिए दरवाजा नहीं खोला जाता है, जैसा कि अल्लाह जल शानुहू ने फ़रमाया है -----
उनके लिए आसमान के दरवाजे न खोले जायेंगे, और न वे कभी जन्नत में दाखिल होंगे, जब तक ऊंट सुई के नाके में न चला जाए (और ऊंट सुई के नाके में जा नहीं सकता इसलिए वे भी जन्नत में नहीं जा सकते )
फिर अल्लाह तआला फरमाते है कि इसको सिज्जीन कि किताब (बुरों आमाल नामे कि दफ्तर ) में लिख दो , जो सबसे नीची जमीन में है | चुनांचे उसकी रूह (वहां से) फेंक दी जाती है | फिर हुज़ूर सल्लाल्लालाहू अलेही व सल्लम ने यह आयत पढ़ी ----
और जो आदमी अल्लाह के साथ शिर्क करता है, गोया वह आसमान से गिर पड़ा, फिर चिड़ियों ने उसकी बोटियां नोच लीं या हवा ने उसको बहुत दूर कि जगह में ले जाकर फेंक दिया |
फिर उसकी रूह उसके जिस्म में लौटा दी जाती है और उसके पास दो फरिस्ते आते है और उसे बिठा कर पूछते है कि तेरा रब कौन है ? वह कहता है, हाय ! हाय ! मुझे पता नहीं |फिर उससे पूछते है कि तेरा दिन क्या है ? वह कहता है, हाय ! हाय ! मुझे पता नहीं | फिर उससे पूछते है कि यह आदमी कौन है, जो तुम्हारे अन्दर भेजे गए ?
वह कहता है , हाय !हाय ! मुझे पता नहीं | जब यह सवल व जवाब हो चुकते है तो आसमान से एक मुनादी आवाज़ देता है कि इसने झूठ कहा | इसके नीचे आग बिछा दो और इसके लिए दोजख का दरवाजा खोल दो | चुनांचे दोजख का दरवाजा खोल दिया है और दोजख कि गर्मी और गर्म लू आती रहती है और कब्र उस पर तंग कर दी जाती है, यहा तक कि उसकी पसलियाँ भीचकर आपस में इधर कि उधर चली जाती है और उसके पास एक आदमी आता है जो बद-सूरत और बुरे कपडे पहने हूए होता है | उसके जुस्म से बुरी बदबू आती है |वह जिसका उससे कहता है कि मुनाबत कि खबर सून ले| यह वह दिन है जिसका तुभ से वायदा किया जाता था | वह कहता है कि में तेरा बूरा अमल हूँ | यह सुनकर वह (इस डर से कि मै कियामत में यहा से ज्यादा अजाब में गिरफ्तार हूँगा) यो कहता है कि ऐ रब कियामत कायम न कर |
एक रिवायत में है कि जब मोमिन कि रूह निकलती है तो आसमान व जमींन के बीच का हर फ़रिश्ता और वे सब फ़रिश्ते जो आसमान में है, सब के सब उस पर रहमत भेजते हे और उसके लिए आसमान के दरवाजे खोल दिया दिए जाते है और हर दरवाजे वाले अल्लाह से दुआ करते है कि उसकी रूह को हमारी तरफ ले कर चढ़ाया जाय और काफ़िर के बारे में फ़रमाया कि उस कि जान रगों समेत निकली जाती हैं और आसमान के बीच का हर फ़रिश्ता और वे सब फ़रिश्ते जो आसमान में हैं, सब के सब उस पर लानत भेजते हैं और उस के लिए आसमान के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और हर दरवाजे वाले अल्लाह से दुआ करते हैं कि उस कि रूह को हमारी तरफ से लेकर न चढ़ाया जाए |
Friday, July 9, 2010
Sunday, July 4, 2010
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