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Saturday, July 10, 2010

मौत के बाद क्या होगा 2

एक दिन सहाबा अल्लाह के रसूल सल्ललाहु अलैहि सल्लम के साथ किसी अंसारी के ज़नाज़े में शरीक हुए, जब कब्र तक पहुंचे तो देखा की अभी कब्र बनी नहीं है इस वजह से नबी सल्लालाहू अलैहि वसल्लम बैठ गए और सहबा भी उनके चारों तरफ अदब से बैठ गएअल्लाह के रसूल के हाथ में एक लकड़ी थी जिससे वो ज़मीन कुरेद रहे थे जैसा कि कोई दुखी आदमी करता हैआपने सर उठाया और फ़रमाया कि कब्र के अज़ाब से पनाह मांगोफ़रमाया कि बेशक जब मोमिन बंद दुनिया से जाने और आखिरत का रुख करने को होता है तो उसकी तरफ आसमान से फ़रिश्ते आते हैं, जिनके सफ़ेद चेहरे सूरज की तरह रोशन होते हैंयह फ़रिश्ते इतने होते हैं कि जहाँ तक उसकी नज़र पहुंचे वहां तक बैठ जाते हैउनके साथ जन्नती कफन होता है और जन्नत की खुशबू होती हैफिर हज़रत मलकुल मौत अलैहिस्सलाम तशरीफ़ लाते हैंयहाँ तक कि उसके पास बैठ जाते हैंऔर फरमाते हैं कि पाक रूह! अल्लाह कि मग्फ़िरत और उसकी रजामंदी की तरफ निकल कर चलचुनांचे उसकी रूह इस तरह आसानी से निकल आती है जैसे किसी मस्कीजे से पानी का क़तरा बहता हुआ बाहर जाता है, तो उसे मलकुल मौत अलैहिस्सलाम ले लेते हैंउनके हाथ में लेते ही दुसरे फ़रिश्ते जो दूर तक बैठे हैं पल भर भी उनके हाथ में नहीं छोड़ते यहाँ तक कि उसे लेकर उसी कफन और खुशबू में रखकर आसमान कि तरफ चल देते हैंइस खुशबू के बारे में फरमाया कि ज़मीन पर जो कभी अच्छी से अच्छी खुशबू मुश्क की पायी गयी है, उस जैसी वोह खुशबू होती है।
फिर फरमाया कि उस रूह को लेकर आसमान कि तरफ चढ़ने लगते हैं और फरिश्तों कि जिस टोली पर से गुज़र होता तो पूछते कि यह कौन पाक रूह है, तो वह अच्छे से अच्छा नाम लेकर बताते जैसा कि दुनिया में बुलाया जाता था कि फलां का बेटा फलां है। इसी तरह आसमान तक पहुँचते हैं और आसमान का दरवाज़ा खोलते हैं। चुनांचे दरवाज़ा खोल दिया जाता है और वह रूह को लेकर ऊपर चले जाते हैं यहाँ तक कि सातवें आसमान पर पहुँच जाते हैं। हर आसमान के करीबी फ़रिश्ते दुसरे आसमान तक उसे विदा करने जाते हैं। जब सातवें आसमान पर पहुँच जाते हैं तो अल्लाह तआला फरमाते हैं कि मेरे बन्दे को इल्लियीन कि किताब (नेकों का दफ्तर) में रख दो और उसे ज़मीन पर वापस ले जाओ क्योंकि मैंने इंसान को ज़मीन ही से पैदा किया उअर वहीँ पर लौटा दूंगा। और उसी से उनको दोबारा पैदा निकाल लूँगा. चुनांचे उसकी रूह उसके जिस्म में वापस कर दी जाती है। उसको कब्र में छोड़ दिया जाता है। इसके बाद दो फरिस्ते उसके पास आते है, जो आकर उसे बिठाते है और उस से सवाल करते है कि तेरा रब कौन है ? वह जवाब देता है, मेरा रब अल्लाह है | फिर उस से पूछते है कि तेरा दीन क्या है ? वह जवाब देता है, मेरा दिन इस्लाम है | फिर उससे पूछते है कि यह कौन साहब है, जो तुम्हारे अन्दर भेजे गए ? वह कहता है कि वह अल्लाह के रसूल है (सल्लल्लाहु अलेही व सल्लम) | फिर उससे दर्याफ्त करते है कि तेरा अमल क्या है ? वह कहता है कि मेने अल्लाह कि किताब पढ़ी, सो उस पर ईमान लाया और उसकी तस्दीक कि इसके बाद एक मुनादी (आवाज देने वाला) आसमान से आवाज देता है (जो अल्लाह का मुनादी होता है) कि मेरे बन्दे ने सच कहा, सो उसके लिए जन्नत के बिछाने बिछा दो और उसके जन्नत के कपडे पहना दो और उसके लिए जन्नत कि तरफ दरवाजा खोल दो, चुनांचे जन्नत का दरवाजा खोल दिया जाता है, जिसके ज़रिये जन्नत का आराम और खुशबू भीतर आती रहती है और उसके कब्र उतनी फैला दी जाती है कि जहा तक उसकी नज़र पहुंचे | इसके बाद बहुत ही खूबसूरत चेरे वाला, बेहतरीन कपडे वाला, (और) पाक खुशबू वाला एक आदमी उसके पास आ कर कहता है कि ख़ुशी कि चीजों कि खुशखबरी सुन ले | यह तेरा वह दिन है जिसका तुम से वायदा किया जाता था, वह कहता है तुम कौन हो ? तुम्हारा चेहरा सच में चेहरा कहने के काबिल है और इस काबिल है कि अच्छी खबर लाए, वह कहता है कि मै तेरा भला अमल हूँ | इसके बाद वह (ख़ुशी में) कहता है कि ऐ रब ! कियामत कायम फरमा | ऐ रब ! कियामत फरमा, ताकि मै अपने बाल-बच्चों और माल में पहुंचा जाऊ |
और बिला सुबहा जब काफिर बन्दा दुनिया से जाने और आखिरत का रुख करने को होता है तो श्याह चेहरे वाले फ़रिश्ते आसमान से उसके पास आते हैं, जिनके साथ टाट होते हैं और उसके पास इतनी दूर तक बैठ जाते हैं जहाँ तक उसकी नज़र पहुचती है। फिर मलकुल मौत अलैहिस्सलाम तशरीफ़ लाते हैं, यहाँ तक कि उसके सर के पास बैठ जाते हैं। फिर कहते हैं कि ऐ खबीस रूह अल्लाह कि नाराजी कि तरफ निकल मलकुल मौत का यह हुक्म सुनकर रूह उसके जिस्म मै इधर उधर भागी फिरती है, इसलिए मलकुल मौत उसकी रूह को जिस्म से इस तरह निकालते हैं जैसे बोटियाँ भूनने कि सीख भीगे हुए ऊन से साफ़ कि जाती है (यानी काफिर कि रूह को जिस्म से ज़बरदस्ती इस तरह निकालते हैं जैसे भीगा हुआ ऊन कांटेदार सीख पर लिप्त हुआ हो और उसको जोर से खींचा जाए) फिर उसकी रूह को मलकुल मौत अपने हाथ मै ले लेते हैं और उनके हाथ मै लेते ही फ़रिश्ते पल झपकते के बराबर भी उनके पास नहीं छोड़ते, यहाँ तक कि फ़ौरन उससे लेकर उसको टाटों में लपेट देते हैं जो उनके पास होती है। और उन टाटों में ऐसी बदबू आती है जैसी कभी किसी बहुत ज्यादा सड़ी हुई मुर्दे कि लाश की धरती पर बदबू फूटी हो। वो फ़रिश्ते उसे लेकर आसमान कि तरफ चढ़ते हैं। और फरिश्तों के जिस गिरोह पर भी पहुँचते हैं, वे कहते हैं कि यह कौन खबीस रूह है ? तो उसका बुरे से बुरा नाम लेकर बताया जाता है कि फलां का बेटा फलां है। यहाँ तक कि वे उसे लेकर पहले आसमान तक पहुँचते है और दरवाजा खुलवाना चाहते है, मगर उसके लिए दरवाजा नहीं खोला जाता है, जैसा कि अल्लाह जल शानुहू ने फ़रमाया है -----
उनके लिए आसमान के दरवाजे न खोले जायेंगे, और न वे कभी जन्नत में दाखिल होंगे, जब तक ऊंट सुई के नाके में न चला जाए (और ऊंट सुई के नाके में जा नहीं सकता इसलिए वे भी जन्नत में नहीं जा सकते )
फिर अल्लाह तआला फरमाते है कि इसको सिज्जीन कि किताब (बुरों आमाल नामे कि दफ्तर ) में लिख दो , जो सबसे नीची जमीन में है | चुनांचे उसकी रूह (वहां से) फेंक दी जाती है | फिर हुज़ूर सल्लाल्लालाहू अलेही व सल्लम ने यह आयत पढ़ी ----
और जो आदमी अल्लाह के साथ शिर्क करता है, गोया वह आसमान से गिर पड़ा, फिर चिड़ियों ने उसकी बोटियां नोच लीं या हवा ने उसको बहुत दूर कि जगह में ले जाकर फेंक दिया |
फिर उसकी रूह उसके जिस्म में लौटा दी जाती है और उसके पास दो फरिस्ते आते है और उसे बिठा कर पूछते है कि तेरा रब कौन है ? वह कहता है, हाय ! हाय ! मुझे पता नहीं |फिर उससे पूछते है कि तेरा दिन क्या है ? वह कहता है, हाय ! हाय ! मुझे पता नहीं | फिर उससे पूछते है कि यह आदमी कौन है, जो तुम्हारे अन्दर भेजे गए ?
वह कहता है , हाय !हाय ! मुझे पता नहीं | जब यह सवल व जवाब हो चुकते है तो आसमान से एक मुनादी आवाज़ देता है कि इसने झूठ कहा | इसके नीचे आग बिछा दो और इसके लिए दोजख का दरवाजा खोल दो | चुनांचे दोजख का दरवाजा खोल दिया है और दोजख कि गर्मी और गर्म लू आती रहती है और कब्र उस पर तंग कर दी जाती है, यहा तक कि उसकी पसलियाँ भीचकर आपस में इधर कि उधर चली जाती है और उसके पास एक आदमी आता है जो बद-सूरत और बुरे कपडे पहने हूए होता है | उसके जुस्म से बुरी बदबू आती है |वह जिसका उससे कहता है कि मुनाबत कि खबर सून ले| यह वह दिन है जिसका तुभ से वायदा किया जाता था | वह कहता है कि में तेरा बूरा अमल हूँ | यह सुनकर वह (इस डर से कि मै कियामत में यहा से ज्यादा अजाब में गिरफ्तार हूँगा) यो कहता है कि ऐ रब कियामत कायम न कर |
एक रिवायत में है कि जब मोमिन कि रूह निकलती है तो आसमान व जमींन के बीच का हर फ़रिश्ता और वे सब फ़रिश्ते जो आसमान में है, सब के सब उस पर रहमत भेजते हे और उसके लिए आसमान के दरवाजे खोल दिया दिए जाते है और हर दरवाजे वाले अल्लाह से दुआ करते है कि उसकी रूह को हमारी तरफ ले कर चढ़ाया जाय और काफ़िर के बारे में फ़रमाया कि उस कि जान रगों समेत निकली जाती हैं और आसमान के बीच का हर फ़रिश्ता और वे सब फ़रिश्ते जो आसमान में हैं, सब के सब उस पर लानत भेजते हैं और उस के लिए आसमान के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और हर दरवाजे वाले अल्लाह से दुआ करते हैं कि उस कि रूह को हमारी तरफ से लेकर न चढ़ाया जाए |

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