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Saturday, July 3, 2010

मौत के बाद क्या होगा ? 1

नहम्दुहु नु सल्ली अला रुसूलिहिल करीम
अम्माबाद फा आऊज़ुबिल्लाही मिनश्शैतानिर्रज़ीम
बिस्मिल्लाहिर्रेह्मानिर्रहीम
रब्बी शरहली सदरी या शिरली अमरी वहलुल उक्दतम्मिल्लिसानि याफ्क़हू कौली


हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि सल्लम की हदीसों को पढने से साफ़ मालूम होता है की मरने वाले को देखने में भले ही मुर्दा समझते हो लेकिन सच तो यह है की वो जिंदा होता हैयह दूसरी बात है कि उसकी ज़िन्दगी हमारी ज़िन्दगी से बिलकुल अलग होती है
प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम ने फरमाया कि मुर्दे कि हड्डी तोडना ऐसा ही है जैसे दुनियावी ज़िन्दगी में तोड़ी जाएएक बार प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि सल्लम ने एक सहाबी को कब्र से सहारा लिए हुए देखा तो फरमाया इस कब्र वाले को तकलीफ दो
जब इंसान मर जाता है तो इस दुनिया से निकल कर बर्ज़ख की दुनिया में चला जाता हैचाहे अभी उसे कब्र में भी रखा गया हो या आग में ही क्यों जलाया होउसमे समझ होती हैअल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि सल्लम ने फ़रमाया कि जब मुर्दा चारपाई पर रख दिया जाता है और उसके बाद कब्रस्तान ले जाने के लिए लोग उसे उठाते हैं तो अगर वो नेक था तो कहता है कि मुझे जल्दी ले चलो और अगर वो नेक था तो घर वालो से कहता है कि हाय मेरी बर्बादी मुझे कहाँ लिए जाते हो ? फिर फरमाया कि इंसान और जिन्न के सिवा हर मखलूक उसकी आवाज़ सुनती हैअगर इंसान उसकी आवाज़ सुन ले तो जरूर बेहोश हो जाए
मौत के बाद क़यामत कायम होने तक जो ज़माना गुज़रता है वो बर्ज़ख कहलाता हैबर्ज़ख का मतलब है पर्दाचूँकि यह ज़माना दुनिया और आखिरत के बीच एक पर्दा होता है इसलिए उसे बर्ज़ख कहते हैं
चूँकि आप इंसान अपने मुर्दे को दफ़न किया करते हैं, इसलिए हदीसों में बर्ज़ख के आराम या अज़ाब के बारे में कब्र ही के लफ्ज़ आते हैंइसका मतलब यह नहीं कि जिन इंसानों को आग में जला दिया जाता है या पानी में बहा दिया जाता है वो बर्ज़ख में जिंदा नहीं रहतेसच तो यह है कि अज़ाब शवाब का ताल्लुक रूह से होता है और यह बात भी याद रहे कि अल्लाह ताला जले हुए ज़र्रों को भी जमा करके अज़ाब और शवाब देने की ताक़त रखता है
हदीस शरीफ में आया है कि पहले ज़माने में एक आदमी ने बहुत ज्यादा गुनाह कियेजब वो मरने लगा तो उसने अपने बेटों को वसीयत की कि जब मैं मर जाऊं तो मुझे जला देना और मेरी राख को आधी धरती पर बिखेर देना और आधी समुन्द्र में बहा देनावसीयत करके उसने कहा कि अगर खुदा मुझ पर कादिर हो गया और उसने मुझे बावजूद इसके भी जिंदा कर दिया तो मुझे जरूर ही सख्त अज़ाब देगा जो मेरे अलावा दुनिया में और किसी को देगाजब वो मर गया तो उसके बेटों ने ऐसा ही किया जैसा कि उसने वसीयत की थी, फिर अल्लाह ताला ने समुन्द्र को हुक्म दिया कि इस आदमी के सारे ज़र्रों को जमा कर लोसमुन्द्र ने अपने अन्दर के सारे ज़र्रों को जमा कर दिया और इसी तरह धरती को भी हुक्म दियाउसने भी उस आदमी के जिस्म के सारे ज़र्रों को जमा कर दियासारे जर्रे जमा फार्म कर अल्लाह ताला ने उसे जिंदा कर दियाफिर उस से फरमाया कि तूने ऐसी वसीयत क्यों की ? उसने अर्ज़ किया कि मेरे पालनहार ! तेरे डर से मैंने ऐसी वसीयत की थी और आप खूब जानते हैंइस पर अल्लाह ताला ने उसे बख्श दिया
हदीस शरीफ की रिवायतों से यह भी मालूम होता है कि मोमिन बन्दे बर्ज़ख में एक दुसरे से मुलाक़ात भी करते हैं और इस दुनिया से जाने वाले से यह भी पूछते हैं कि फलां का क्या हाल है और किस हालत में है
जब मरने वाला मर जाता है तो बर्ज़ख में उसकी औलाद उसका इस तरह स्वागत करती है जैसे दुनिया में किसी बाहर से आने वाले का स्वागत किया जाता हैबर्ज़ख में मरने वाले के रिश्तेदार नातेदार जो पहले मर चुके हैं उसे घेर लेते हैं और आपस में मिलकर उस ख़ुशी से भी ज्यादा खुश होते हैं जो दुनिया में किसी बाहर से आने वाले से मिल कर होती है
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि जो आदमी ईमान वाला नहीं होता उसे मुदों से बात चीत नहीं करने दी जातीकिसी ने अर्ज़ किया कि या रसूलुल्लाह क्या मुर्दे भी बात करते हैंफ़रमाया हां वो तो एक दुसरे से मुलाक़ात भी करते हैं
जब कोई आदमी अपने मुसलमान भाई कि कब्र कि जियारत करता है और उनके पास बैठता है तो कब्र वाला उसके सलाम का जवाब देता हैरूहें एक दुसरे को पहचानती हैंवह रूह जिसे इत्मीनान हासिल हो जन्नत में हरे परिंदे कि शक्ल में होती है
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि जो आदमी कुरान मजीद पढना शुरू करता है और पूरा किये बिना ही मर जाता है तो कब्र में एक फ़रिश्ता उसे कुरान शरीफ पढाता है, चुनांचे वह अल्लाह से इस हाल में मुलाक़ात करेगा कि उसे पूरा कुरान मजीद हिफ्ज़ होगा
जो लोग भले कामों में ज़िन्दगी बिताते हैं और वो मरने के बाद कि ज़िन्दगी पर यकीन रखते हैं, इस दुनिया में उनका मन नहीं लगता और मौत को यहाँ कि ज़िन्दगी के मुकाबले बढ़ावा देते हैंऔर जो लोग यहाँ कि ज़िन्दगी को बुराइयों में गजारते हैं वो मौत से घबराते हैंइसलिए घबराते हैं क्योंकि उन्होंने दुनिया को आबाद और आखिरत को बर्बाद किया, इसलिए आबादी से वीराने में जाना पसंद नहीं करते
जिस आदमी को कब्र कि ज़िन्दगी का यकीन हो और अपने अच्छे कामों के बदले वहां अच्छे हाल में रहने कि उम्मीद हो और यह समझता हो कि इस दुनिया के दोस्त साथी रिश्तेदार को छोड़ कर चला जाऊँगा तो बर्ज़ख में रिश्तेदार और जान-पहचान वाले मिल जायेंगे तो फिर मौत से क्यों घबराए और इस ज़िन्दगी को बर्ज़ख क़ी ज़िन्दगी पर क्यों बढ़ावा दें ?
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मौत को मोमिन का तोहफा बताया है और यह भी फ़रमाया क़ी इंसान मौत को नापसंदीदा समझता है, हालाँकि मौत फितनों से बेहतर है कि जितनी जल्दी जाए उतनी ही जल्दी आदमी दुनिया के फितनों से बच जाएगा
इंसान के दुनिया से इन्तेकाल करने कि मिसाल ऐसी है जैसे बच्चा अपने माँ के पेट कि तंगी से अँधेरे से निकल कर दुनिया के आराम और राहत में जाता हैमतलब मोमिन के लिए मौत बहुत अच्छी चीज़ है, बस शर्त यह है कि नेक अमल करने वाला हो और उसने अपने और अल्लाह के दरमियाँ मामला ठीक रखा होजो बन्दे नेक कामों में ज़िन्दगी गुजारते हैं वो मौत को इस ज़िन्दगी पर बढ़ावा देते हैं और यहाँ मुसीबतों और परेशानियों से निकल कर जल्द से जल्द अम्न अमान और राहत चैन वाली हमेशा कि ज़िन्दगी में जाना चाहते हैं

31 comments:

  1. Mujhe bhi Allah baksh aur sa bhi makhlook ko Amman summa ameen

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  2. Bhut acchha aameen subhaan allah alahumdulillah hi rabbil aalmeen

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  3. اللہ ہمیں آخرت کا یقین کرنے کی توفیق عطا کرے مرتے وقت کلمے شہادت زبان پر جاری فرمائے آمین ثم امین

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  4. अल्लाह सभी ईमान वाले मुस्लमान भाई और बहन को जन्नत दे आमीन

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  5. Allah ham logo ko samjh ata farmaye

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  6. Sahi Allah ham sab ko iman k sath amal wala banaya
    jazaq Allah khair

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  7. Namaz pado isse pehle ki tumhari namaz padi jay

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