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Saturday, July 3, 2010

नमाज़ पढने का तरीका

नमाज़ पढने का तरीका यह है कि बावुजू किबला कि तरफ मूंह करके इस तरह खड़े हों कि दोनों पंजों में चार अंगुल का फासला हो और नमाज़ कि नीयत करें और हाथ कान तक ले जाए कि अंगूठे कान की लौ से छू जाए बाकी उंगलियाँ अपने हाल पर रहें न बिलकुल मिली और न ही बहुत फैली और हथेलियाँ किबले की तरफ हों और निगाह सज्दा की जगह पर हों और जिस वक़्त जो नमाज़ पढनी हो दिल में उसका पक्का इरादा करके अल्लाहु अकबर कहता हुआ हाथ नीचे लाकर नाफ के नीचे बाँध लें इस तरह कि दाहिनी हथेली कि गुद्दी बाएं कलाई के सिरे पर हो और बीच कि तीनों उंगलियाँ बाएं कलाई कि पीठ पर और अंगूठा और छोटी उंगली कलाई के अगल-बगल में हो और सना पढ़ें -
सुबह- न- कल्ला हम्मा-व-बी हम्दे- क व- ताबा- र कस्मु- क व- त - आला जद्दू- क वला इलाहा गेरू क.
फिर त-अव्वुज पढ़ें
अऊजूबिल्लाहि मिनस्शैतानिर रजीम.
फिर तस्मियाह पढ़ें -
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम.
फिर अलहम्दो शरीफ पढ़ें -
अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन. अर्रेहमानिर्रहीम. मालिके यौमिद्दीन. इय्याका आबुदु इय्याका नस्ता इन. इह्दिनस्सिरातल मुस्तकीम. सिराताल्लाज़ी अन अमता अलैहिम गैरिल मग्दूबे अलैहिम वालाद्दलीन. आमीन (आहिस्ता से कहें).
इसके बाद कोई सूरत या तीन आयतें पढ़ें या ऐसी एक आयत पढ़ें जो तीन छोटी आयतों के बराबर हो। जैसे -
कुल या अय्युहल काफिरून. ला आबुदु माँ ता बुदू- . वला अन्तुम आबिदून मा आबुद. वला अना आबिदून मा अबत्तुम. वला अन्तुम आबिदून मा आबुद. लकुम दीनू कुम वलीय दीन.
फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएँ और घुटनों को हाथ से पकडे इस तरह कि हथेलियाँ घुटनों पर हो और उंगलियाँ खूब फैली हुई हों ऊंचा नीचा न हो और नज़र पाँव कि तरफ हो और कम से कम तीन बार सुबहान रब्बियल अज़ीम कहें फिर समी अल्लाहु लीमन हमिदः कहता हुआ सीधे खड़े हो जाएँ और अगर अकेला हो तो अल्लाहुम्मा रब्बना लकल हम्द कहें फिर अल्लाहु अकबर कहता हुआ सज्दे में जाएँ इस तरह कि पहले घुटना ज़मीन पर रखें फिर हाथ फिर दोनों हाथों के बीच सर रखें इस तौर पर कि पहले नाक तब माथा और नाक कि हड्डी ज़मीन पर जम जाए और नज़र नाक कि तरफ रहे और बाजुओं को करवटों से और पेट को रानों से और रानों को पिंडलियों से जुदा रखें और दोनों पाँव कि सब उंगलियाँ को किबले कि तरफ इस तरह कि उँगलियों का सारा पेट ज़मीन पर जम जाए हर पाँव कि कम से कम तीन उँगलियों का पेट ज़मीन पर लगाना वाजिब है और हथेलियाँ बिछी हों और उंगलियाँ किबला की तरफ हों और कम से कम तीन बार सुभाना रब्बियल आला कहें फिर सर इस तरह उठायें कि पहले माथा फिर नाक फिर मूंह फिर हाथ और दाहिना क़दम खड़ा करके उसकी उंगलियाँ किबला रुख करें और बायाँ क़दम बिछा कर उस इज खूब सीधा बैठ जाएँ और हथेलियाँ बिछाकर रानों पर घुटनों के पास रखें कि दोनों हाथ कि उंगलियाँ किबला को हों और उँगलियों का सिरा घुटना के पास हो फिर ज़रा सा ठहर कर अल्लाहु अकबर कहता हुआ दूसरा सज्दा करें यह सज्दा भी पहले कि तरह करें फिर सर उठायें और हाथ को घुटनों पर रख कर पंजों के बल खड़े हो जाएँ उठते वक़्त बिना वजह हाथ ज़मीन पर न टिके यह एक रकात पूरी हो गयी अब सिर्फ बिस्मिल्लाहिर्रह्मनिर्रहीम पढ़कर अलहम्दो और दूसरी सूरत पढ़ें जैसे -
कुल हु वल्लाहु अहद अल्लाहु समद लम यलिद वलम यूलद वलम यकुल्लाहू कुफुवन अहद.
और पहली की तरह रुकू और सज्दा करें और फिर जब दुसरे सज्दा के लिए सर उठायें तो दाहिना क़दम खड़ा करके बायाँ क़दम बिछा कर बैठ जाएँ और तसह्हुद पढ़ें -

अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यीबातू अस्सलमुआले अय्युहन्नबियु रेह्म्तुल्लाही बरका तुहू अस्सलामु अलैना अला इबदिल्लाहिस्सालिहीन अश हदू अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु अश हदू अन्ना मुहम्मद अब्दुहु रसूलुहु
जब
अश हदू अल्लाह कहें तो दाहिने हाथ कि सहादत कि उंगली को हल्का सा उठायें और बाकी उँगलियों को हथेली से मिला दें और इल्लल्लाहु पर उंगली को नीचे कर दें अब अगर दो से ज्यादा रकात पढनी हो तो फ़ौरन खड़े हो जाएँ और तीसरी रकात उसी तरह पढनी शुरू कर दें मगर फ़र्ज़ नमाज़ में तीसरी या चौथी रकात में अलहम्दो के साथ कोई सूरत मिलनी ज़रूरी नहीं अब पिछला कायदा जिसके बाद नमाज़ ख़त्म करेगा उसमे तसह्हुद के बाद दुरूद शरीफ पढ़ें -
अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मादिन्वं अला आली मुहम्मदीन कम सल्लैता अला इब्राहिम आला आले इब्राहिम इन्नका हमीदु म्मजिद. अल्लाहुम्मा बारीक अला मुहम्मादिवं आला आले मुहम्मदीन कमा बरकता आला इब्राहीम आला आले इब्राहीम इन्नका हमीदु म्मजीद. फिर कोई दुआ पढ़ें -
अल्लाहुम्मा रब्बना आतैना फिद्दुनिया हसनातवं फिल आखिरती हसनातवं किना अजाबन्नार.
फिर दायें शाने की तरफ मून करके अस्सलामुआलेकुम रहमतुल्लाह कहें इसी तरह बायीं तरफ अब नमाज़ खत्म हो गयी। अब जो दुआ मांगनी हो वो मांग लें।

8 comments:

  1. नमाज़ पढने का तरीका
    नमाज़ पढने का तरीका यह है कि बावुजू किबला कि तरफ मूंह करके इस तरह खड़े हों कि दोनों पंजों में चार अंगुल का फासला हो और नमाज़ कि नीयत करें और हाथ कान तक ले जाए कि अंगूठे कान की लौ से छू जाए बाकी उंगलियाँ अपने हाल पर रहें न बिलकुल मिली और न ही बहुत फैली और हथेलियाँ किबले की तरफ हों और निगाह सज्दा की जगह पर हों और जिस वक़्त जो नमाज़ पढनी हो दिल में उसका पक्का इरादा करके अल्लाहु अकबर कहता हुआ हाथ नीचे लाकर नाफ के नीचे बाँध लें इस तरह कि दाहिनी हथेली कि गुद्दी बाएं कलाई के सिरे पर हो और बीच कि तीनों उंगलियाँ बाएं कलाई कि पीठ पर और अंगूठा और छोटी उंगली कलाई के अगल-बगल में हो और सना पढ़ें -
    सुबह- न- कल्ला हम्मा-व-बी हम्दे- क व- ताबा- र कस्मु- क व- त - आला जद्दू- क वला इलाहा गेरू क.
    फिर त-अव्वुज पढ़ें
    अऊजूबिल्लाहि मिनस्शैतानिर रजीम.
    फिर तस्मियाह पढ़ें -
    बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम.
    फिर अलहम्दो शरीफ पढ़ें -
    अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन. अर्रेहमानिर्रहीम. मालिके यौमिद्दीन. इय्याका न आबुदु व इय्याका नस्ता इन. इह्दिनस्सिरातल मुस्तकीम. सिराताल्लाज़ी न अन अमता अलैहिम गैरिल मग्दूबे अलैहिम वालाद्दलीन. आमीन (आहिस्ता से कहें).
    इसके बाद कोई सूरत या तीन आयतें पढ़ें या ऐसी एक आयत पढ़ें जो तीन छोटी आयतों के बराबर हो। जैसे -
    कुल या अय्युहल काफिरून. ला आबुदु माँ ता बुदू- न. वला अन्तुम आबिदून मा आबुद. वला अना आबिदून न मा अबत्तुम. वला अन्तुम आबिदून मा आबुद. लकुम दीनू कुम वलीय दीन.
    फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएँ और घुटनों को हाथ से पकडे इस तरह कि हथेलियाँ घुटनों पर हो और उंगलियाँ खूब फैली हुई हों ऊंचा नीचा न हो और नज़र पाँव कि तरफ हो और कम से कम तीन बार सुबहान रब्बियल अज़ीम कहें फिर समी अल्लाहु लीमन हमिदः कहता हुआ सीधे खड़े हो जाएँ और अगर अकेला हो तो अल्लाहुम्मा रब्बना लकल हम्द कहें फिर अल्लाहु अकबर कहता हुआ सज्दे में जाएँ इस तरह कि पहले घुटना ज़मीन पर रखें फिर हाथ फिर दोनों हाथों के बीच सर रखें इस तौर पर कि पहले नाक तब माथा और नाक कि हड्डी ज़मीन पर जम जाए और नज़र नाक कि तरफ रहे और बाजुओं को करवटों से और पेट को रानों से और रानों को पिंडलियों से जुदा रखें और दोनों पाँव कि सब उंगलियाँ को किबले कि तरफ इस तरह कि उँगलियों का सारा पेट ज़मीन पर जम जाए हर पाँव कि कम से कम तीन उँगलियों का पेट ज़मीन पर लगाना वाजिब है और हथेलियाँ बिछी हों और उंगलियाँ किबला की तरफ हों और कम से कम तीन बार सुभाना रब्बियल आला कहें फिर सर इस तरह उठायें कि पहले माथा फिर नाक फिर मूंह फिर हाथ और दाहिना क़दम खड़ा करके उसकी उंगलियाँ किबला रुख करें और बायाँ क़दम बिछा कर उस इज खूब सीधा बैठ जाएँ और हथेलियाँ बिछाकर रानों पर घुटनों के पास रखें कि दोनों हाथ कि उंगलियाँ किबला को हों और उँगलियों का सिरा घुटना के पास हो फिर ज़रा सा ठहर कर अल्लाहु अकबर कहता हुआ दूसरा सज्दा करें यह सज्दा भी पहले कि तरह करें फिर सर उठायें और हाथ को घुटनों पर रख कर पंजों के बल खड़े हो जाएँ उठते वक़्त बिना वजह हाथ ज़मीन पर न टिके यह एक रकात पूरी हो गयी अब सिर्फ बिस्मिल्लाहिर्रह्मनिर्रहीम पढ़कर अलहम्दो और दूसरी सूरत पढ़ें जैसे -
    कुल हु वल्लाहु अहद अल्लाहु समद लम यलिद वलम यूलद वलम यकुल्लाहू कुफुवन अहद.
    और पहली की तरह रुकू और सज्दा करें और फिर जब दुसरे सज्दा के लिए सर उठायें तो दाहिना क़दम खड़ा करके बायाँ क़दम बिछा कर बैठ जाएँ और तसह्हुद पढ़ें -
    अत्तहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यीबातू अस्सलमुआले क अय्युहन्नबियु व रेह्म्तुल्लाही व बरका तुहू अस्सलामु अलैना व अला इबदिल्लाहिस्सालिहीन अश हदू अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु व अश हदू अन्ना मुहम्मद अब्दुहु व रसूलुहु
    जब अश हदू अल्लाह कहें तो दाहिने हाथ कि सहादत कि उंगली को हल्का सा उठायें और बाकी उँगलियों को हथेली से मिला दें और इल्लल्लाहु पर उंगली को नीचे कर दें अब अगर दो से ज्यादा रकात पढनी हो तो फ़ौरन खड़े हो जाएँ और तीसरी रकात उसी तरह पढनी शुरू कर दें मगर फ़र्ज़ नमाज़ में तीसरी या चौथी रकात में अलहम्दो के साथ कोई सूरत मिलनी ज़रूरी नहीं अब पिछला कायदा जिसके बाद नमाज़ ख़त्म करेगा उसमे तसह्हुद के बाद दुरूद शरीफ पढ़ें -
    अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मादिन्वं व अला आली मुहम्मदीन कम सल्लैता अला इब्राहिम व आला आले इब्राहिम इन्नका हमीदु म्मजिद. अल्लाहुम्मा बारीक अला मुहम्मादिवं व आला आले मुहम्मदीन कमा बरकता आला इब्राहीम व आला आले इब्राहीम इन्नका हमीदु म्मजीद. फिर कोई दुआ पढ़ें -
    अल्लाहुम्मा रब्बना आतैना फिद्दुनिया हसनातवं व फिल आखिरती हसनातवं व किना अजाबन्नार.
    फिर दायें शाने की तरफ मून करके अस्सलामुआलेकुम व रहमतुल्लाह कहें इसी तरह बायीं तरफ अब नमाज़ खत्म हो गयी। अब जो दुआ मांगनी हो वो मांग ले

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  2. बहुत बहुत शुक्रिया जनाब नमाज़ पढ़ने के बारे सही से बताने लिए

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  3. Moot me baad kitne waqt kitni jagha pe hisaab hoga

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